मुझे एक बात पिछले कई दिनो से परेशान कर रही है कि आखिर
हमारे मुल्क मे किन लोगो ने शिक्षण संस्थानो को भी मजहब की गंदगी मे बांट दिया है
और क्यो... जिनके नाम से ही मजहब की बदबू आती है।
मै " काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय " जैसे शिक्षण संस्थानो की बात कर रहा हूँ। आखिर इन संस्थानो के नाम महापुरुषो के नाम पर भी तो रखे जा सकते थे जिनसे इन संस्थानो की पहचान भी बनी रहती और ये संस्थान मजहबी रंग मे रंगे भी नही दिखते..
लेकिन सियासी धूर्तो ने इसे भी मजहब रुपी चाशनी मे भिगो के रखा है जिससे इनके काम आसान होते रहे.....
मै " काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय " जैसे शिक्षण संस्थानो की बात कर रहा हूँ। आखिर इन संस्थानो के नाम महापुरुषो के नाम पर भी तो रखे जा सकते थे जिनसे इन संस्थानो की पहचान भी बनी रहती और ये संस्थान मजहबी रंग मे रंगे भी नही दिखते..
लेकिन सियासी धूर्तो ने इसे भी मजहब रुपी चाशनी मे भिगो के रखा है जिससे इनके काम आसान होते रहे.....
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