जब पूरे देश में उन्मादी रथ का पहिया बेख़ौफ़ बिना रोक - टोक के घूम रहा था। तब एक नेता ने उस पहिये को ना सिर्फ रोका बल्कि पंचर भी कर दिया। इस गुस्ताख़ी की सज़ा उसे तो मिलनी ही थी और अभी मिल भी रही है। भष्ट्राचार के लिए आप लालू यादव की आलोचना बेशक करिये लेकिन सम्प्रदायिकता के आगे ना झुकने के लिए लालू यादव की प्रशंसा भी करनी पड़ेगी!
भ्रष्टाचार कभी बहुत बड़ा मुद्दा रहा ही नहीं वरना इसे राजनीतिक फायदे के लिए समय - समय पर सियासी दल सिर्फ हथियार की तरह नहीं इस्तेमाल करते। देश में ऐसी कोई पार्टी या राज्य नहीं होगा। जहां लालू यादव से बड़े और बराबर के भ्रष्टाचारी ना हो इसलिए लालू को नापसन्द करने की वजह भ्रष्टाचार और गुंडई नहीं हो सकता बल्कि इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि लालू ने बिहार के पिछड़े और दलितों को बराबर चोट करना सिखाया। जो सदियों से मार खा रहे थे।
भोजपुरी का एक गाना है। "घास काटे गईनी रे दिदिया प्रधानवा के रहर में... चोरवा टांग ले गईलस रे दिदिया गांवे के नहर में" बिहार में इस गाने का अर्थ लालू के सीएम बनने के पहले सबसे ज्यादा प्रासंगिक था। गाने के बोल में बिहार के उस समाज की हकीकत है जो सवर्ण वर्चस्व वाला था। लालू यादव के सीएम बनने के बाद ये धीरे - धीरे बदला। वजह लालू यादव थे क्योंकि वो उसी समाज से आते थे जिनकी बेटियां घास काटने खेत में जाती थी तो बड़े लोग उनको अपना आहार बना लेते थे। जिनकी ये मानसिकता थी कि "छोटी जाति के लोग बड़ी जाति के आहार है" उस पर लालू ने चोट किया। उसे सर उठाकर जीना सिखाया इसकी कीमत लालू यादव ने कई बार चुकाया और आज भी चुका रहे है। वरना भ्रष्ट्राचार और नेता तो हर दौर में एक दूसरे के साथी रहे है और हरदम रहेंगे।
बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए जब लालू यादव की गिरफ्तारी हो गई थी। तब पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ने संसद में मार्मिक भाषण दिया था। जो आज भी प्रसांगिक है। चन्द्रशेखर ने अपने शिष्य के लिए उस समय जो कहा था वो आज एक बार फिर सत्य साबित हुआ। लालू यादव ने मोदी से ना डरने की कीमत चुकाई है। स्वर्गवासी चन्द्रशेखर अपने शिष्य के उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस कर रहे होंगे!
जो सीबीआई कांग्रेस के काल में "सरकारी तोता" थी। आज लोगों को निष्पक्ष लग रही है वजह ये है कि इस बार निशाने पर गांव - गरीब का बेटा है। जिसने दंगाईयों के ख़िलाफ़ कभी हाथ नहीं जोड़ा। मायावती ने गुजरात में अभी बीजेपी को फायदा पहुंचाया और पहले भी कई बार बीजेपी का साथ दे चुकी है। मुलायम सिंह यादव ने भी कई बार बाहर और अंदर से बीजेपी का सहयोग किया लेकिन लालू यादव हरदम ख़िलाफ़ डटे रहे। नतीज़ा आप सबके सामने है।
बहुत खूब। very nice words.
ReplyDeleteधन्यवाद...
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