"मुझे इससे कोई मतलब नहीं हैं कि भारतीय जनता पार्टी आगे क्या करेगी। भारतीय जनता पार्टी के बारे में मेरे विचार मैंने एक बार नहीं अनेक बार कहे है। हमारे इन मित्रों (कांग्रेस) में से बहुतों को आशा रही होगी हमे तो कोई आशा नहीं थी कि भारतीय जनता पार्टी अचानक ही बदल जाएगी। चाहे जो कुछ भी आप कहे आप बदलने के लिए स्वतन्त्र नहीं है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी संघ परिवार का एक सदस्य है। "
"मैं आज की सरकार से जानना चाहता हूं ख़ास तौर पर प्रधानमंत्री जी आपसे। क्या इस तरह से झूठे वादों के ऊपर, लोगों को भ्रम में ड़ालकर बहुत आशा दिलाई जा चुकी। बहुत लोगों के दिलों में विश्वास दिलाया गया। बहुत बार विश्वास टूटे एक बार फिर उस विश्वास को आप तोड़ेंगे तो शायद ये जनतंत्र टूट जाएगा इसलिए हम आपके इस विश्वास तोड़ने की कला का विरोध करते है। आपसे मैं निवेदन करना चाहूंगा अध्यक्ष महोदय,अभी हमारे मित्र वाणिज्य मंत्री जी ने कहा, 'हमने केवल कहा है कॉन्स्टिट्यूशन रिव्यू होगा हमने कितनी बार अमेंड किया है' मैं समझता हूं हमसे ज्यादा उनको अंग्रेजी आती हैं अमेंड करने और रिव्यू करने में अंतर होता है। यहां पर बहुत से संविधान के ज्ञाता बैठे हुए है। जब आप कॉन्स्टिट्यूशन रिव्यू करने की बात करते है अपने एजेंडा में,क्या आप इस पर चर्चा आपने न्यायविदों से की है। क्या आपने दूसरी पार्टियों से सहमति ली हैं। क्या इस पर कोई चर्चा है कि किस दिशा में संविधान का रिव्यू करने जा रहे है। याद रखिए जब - जब डेमोक्रेसी टूटी है जब - जब संसदीय जनतंत्र टूटा है। वहां के नेताओं ने यह कहा है संविधान कमजोर है। इसको बदलने की जरूरत है मैं जो ये संकेत देखता हूं ये ख़तरनाक संकेत है। मैं नहीं जानता आपके इरादे क्या है लेकिन भाषा का इस्तेमाल करते हुए दुनिया के इतिहास को नज़र में रखिए। अगर दुनिया के इतिहास में नज़र नहीं रखेंगे तो याद रखिए यहां के कुछ सदस्य ही आपकी बाते नहीं सुन रहे है इस एजेंडा को केवल हम ही नहीं पढ़ रहे है सारी दुनिया के लोग इस एजेंडा को देख रहे है। आपने जो एजेंडा बनाई है वो एक भयंकर दिशा में संकेत करते है और उस भयंकर दिशा में संकेत करने के लिए मैं नहीं जानता आपने जानबूझकर ये किया है या अनजाने में किया हैं। "
"प्रधानमंत्री जी आप जानते है मैंने आज से नहीं 1967 में कहा था गुरुदेव आप....... उस बात को दोहराता रहा 'गुरुदेव आप रास्ते से भटक रहे हो' और आपका भटकाव जो होगा देश के लिए कीमती पड़ेगा और इसलिए मैं आपको चेतावनी देने के लिए खड़ा हुआ हूं। और देश की जनता को ये कहना चाहता हूं ये एजेंडा जो है, ये विश्वासघात का एक दूसरा दस्तावेज़ है जिससे देश को परेशानी होगी इसलिए मैं इस विश्वास मत के प्रस्ताव का विरोध करता हूं।"
ये शब्द समाजवादी नेता और युवा तुर्क पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर जी के हैं। जिन्होंने 1999 में अटल सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान संसद में कहा था। अटल जी से हरदम असहमत होने के बावजूद चन्द्रशेखर जी उनको गुरुदेव कहते थे। ऐसी महान परम्परा वाले देश के वासियों ने आज ऐसे लोगों को चुन लिया है जिनमें इन मूल्यों की कमी दिखती है। जो चिंता युवा तुर्क नेता ने तब जताई थी वो धीरे - धीरे आज सही साबित होती जा रही है। अटल जी के जन्मदिन बहाने ये सब याद करना जरूरी है। अटल जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं और आपने पढ़ा इसके लिए आपको धन्यवाद।
Nice
ReplyDeleteधन्यवाद
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